ये शहर कुछ अनजान सा है,
हर दिन इंसान परेशान सा है,
भागते से है सब किसी अनजानी परछाई के पीछे
कब रुबुरु होंगे उससे ये पता भी नहीं है !
पैसे का जोर कुछ ज्यादा ही है ,
रिश्तों की कीमत अब कुछ भी नहीं है ,
वक़्त ठहरता नहीं दो पल के लिए भी ,
हर तरफ भागम भाग की उलझी कड़ी है !
कोई ठहर के हंस भी दे
ऐसे हालात कम ही है ,
सरपट दौड़ रही है ज़िन्दगी
रफ़्तार कम नहीं है !
कोई मिलके कहता क्यूँ नहीं
की आखिर क्या कमी है ?
समझो ज़रा वक़्त के नाजुक पहलु को
प्यार सबके लिए एक ही है !
ज़रा मुडो थोडा पीछे ,
वक़्त को ज़रा थामो ,
उसे समझाओ सब माज़रा ,
उसकी रफ़्तार को धीमें से रोको !
अभी निकल गया मौका
तो वापिस ना आएगा ,
माना पैसा भी कीमती है
पर रिश्तों के महत्व यूँ ही धुंधला जाएगा !
कब्र तक साथ कोई नहीं देता ,
पैसा इंसान को असली तसल्ली भी नहीं देता ,
अगर ख़ुशी बांटने वाला कोई साथी ना हो
तो शोहरत भी पानी की तरह बह जाती है ,
एक दिन यह जिंदगानी यूँही बीत जाती है !
ये शहर कुछ अनजान सा है,इसका हर पहलु गुमनाम सा है!
गुम न हो जाऊ इस दुनिया मे
मुश्किल बड़ा लग रहा यहाँ गुज़ारा सा है ,
रिश्तें न टूटे ये ही उम्मीद कर सकते है
आखिर होगा क्या यह न किसी को पता है !
देखते है ये शहर और क्या रंग दिखाएगा
नये रिश्ते बनाएगा या पुरानों का भी अंत कर जाएगा ,
साथ रहेंगे सब या बिछड़ जाएँगे ,
शोहरत की अंधाधुंध चांदनी में या कहीं खो जाएँगे !
ये शहर कुछ अनजान सा है,इसका हर पहलु गुमनाम सा है!