Tuesday, July 11, 2017

बेटियाँ




राह तकती निगहाओं से पास बुला लेती है ये बेटियां 
रोशन करके ये जहाँ सब कुछ भुला देती है
अस्तित्व से जुडकर हमे बड़ा बनाती है
पर खुद क्या है सबसे छुपा लेती है |   

कुछ दूर चल कर जब मैं थक जाता हूँ 
पानी की तरह शीतल कर जाती है ये मन 
ऐ खुदा क्या खूब बनाई है तूने भी ये बेटियां 
जैसे किसी राहगीर को मिला हो पानी से ही जीवन  |  

जब नन्हे पैरों तले वो मेरे घर पे आई थी 
मोहल्ले मे जशन की तोपे चलाई थी 
आज जब बारी आई उसे विदा करने की 
क्यों आँखें है मेरी नम   |  

ऐ खुदा क्या खूब बनाई है तूने भी ये बेटियां 
लगती खुदा की भेजी हुई मरहम  |  

पिता हूँ चाहे मैं पर माँ का प्यार भी देना चाहूँ 
जहाँ भी जाये वो उसके संग हर ख़ुशी न्योछावर कर दू 
दूर नहीं होती कभी ये बेटियां 
ऐ खुदा क्या खूब बनाई है तूने भी ये बेटियां  |  

माँ जैसा शीतल मन, बहन जैसा प्यार 
उसकी हर बात पे याद आ जाता है हर रिश्ता हर बार 
कहती है पापा क्या सोच रहे हो इतना 
क्यों न सोचु मैं भी आखिर हूँ तो तेरा पिता  |  

कई शायर गायक कवी इस रिश्ते के बारे मे लिखते है 
इसके गहराई को समझे ऐसे कम ग़ालिब यहाँ रहते है  |  

शुक्रगुज़ार हूँ तेरे इस प्यार का 
जिसने मुझे एक इंसान से पिता बनाया 
चलती हुई मेरी ज़िन्दगी मे एक ठहराया लाया 
वो ठंडी हवा का झोखा है तू जो हमेशा मुझे याद रहता है 
चाहें कितना भी दूर हो तू 
ये रिश्ता हमेशा बहुत खास होता है  |  

ऐ खुदा क्या खूब बनाई है तूने भी ये बेटियां
भूल जाऊ चाहे सब कुछ 
पर ये हमेशा याद रहेगा 
मेरा अंश है तू 
तुझसे ही मेरा संसार चलेगा | 

ऐ खुदा क्या खूब बनाई है तूने भी ये बेटियां
हर रिश्ते को नये मायने देकर भी मुझसे दूर न हो कभी मेरी बेटियां | 



3 comments:

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  2. ऐ खुदा क्या खूब बनाई है तूने भी ये बेटियां
    हर रिश्ते को नये मायने देकर भी मुझसे दूर न हो कभी मेरी बेटियां |

    क्या लिखा है ! 👍👌 अति सुंदर .. बहुत खूब । कवित्री निकिता । नमन 😇🤗😃🙏🙏

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