Friday, March 23, 2018

आज एक और बेटी विदा हो चली


आज एक और बेटी विदा हो चली,

उसकी बारात आयी लाखों सपने संजो के ,
दूर से बैंड की आवाज़ ने दिलों में खुशियाँ भर दी ,
सखी सहेलियों की खिलखिलाहट छत पे भर गई ,
रौनक से झूम उठा आसमान ,
आतिशबाज़ी से नये जीवन की दस्तक हुई | 

आज एक और बेटी विदा हो चली || 

चल तो पड़ी उसकी डोली धीरे धीरे ढोल और मंजीरों संग,
भाइयों ने हाथ थामा तो डोली खिल उठी,
लाल रंग के जोड़े में छम छम करती जब वो डोली से उतरी,
माँ बाबा की आँखों में सौ सपने भर गई,
सबकी लाड़ली आज आँखों में ख़ुशी के आँसू भर गई | 

आज एक और बेटी विदा हो चली  || 

वो मेहँदी की भीनी भीनी खुशबू अब भी आती है ,
उसकी हंसी अब भी दिल भर जाती है ,
मस्ती और उमंग से भरी उसकी बातें आज भी ताज़ा है ,
लगता है अभी भी यही कही वो इस घर का हिस्सा है | 

ये बदलाव ना उसके लिए आसान ना हमारे लिए है। 
बेटी जब विदा हो चले तब ये एहसास आता है ,
कही न कही आज भी बाप का दिल ये सोच के घबराता है ,

विदा हुई है लाखों सपनो के साथ ,
कही वो सपना टूट न जाये ,
आज विदा हुई मेरी बेटी कही मुझसे दूर हो न जाये | 

आज एक और बेटी विदा हो चली ,
लाखों उम्मीदें लिए नए सफर पे चल पढ़ी 

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