Saturday, March 31, 2018

काश आज भी मैं बच्चा होता



कल बैठे बैठे ऐसा लगा 
समय भाग गया और पता भी न चला 

बच्चे होने का एहसास न जाने कहाँ गया 
मेरे आस पास सब कुछ क्यों धुंदला गया 

कल काम वाला आया था, पूछ रहा था इस सप्ताह क्या बनेगा 
ये कब से मैंने निर्णय लेना चालू किया?

मम्मी की जिम्मेदारी मैंने कब उठाना चालू किया 

आलू प्याज के दाम तो मुझे कभी पता न थे 
आज कैसे मैं मंडी जाके सामान लाने लगा 

कब मैं माँ बाबा के कन्धों से उतरकर उनका सहारा बन चला | 

इतनी दूर आ गया हूँ लगता है कई बार,
घर के खाने का स्वाद भी याद न रहा | 

जब थके हारे शाम को कई बार देरी से लौटता हूँ 
कोई मेरे इंतज़ार मे भूखा घर पे नहीं मिलता 
कई बार तो रसोइया के हाथ के बने खाने मे नमक का स्वाद भी नहीं होता | 

जब कभी खिड़की से बाहर झांकता हूँ 
आँगन मे बचपन भी दिखाई नहीं पड़ता 
कितना अच्छा था बचपन , उसकी मासूमियत का एहसास अब है पता चलता | 

जब सब बड़े कहते थे , बचपन सबसे उन्मुक्त है ,
मैंने नहीं सुना 
जब सब बड़े कहते थे , अभी वक़्त है जी भर के जी लो,
मैंने नहीं सुना 

काश सुन लेता, उस समय उन बातो को 
तो आज इतना बड़ा कभी महसूस नहीं होता 

कोई बस लौटा दो वो दो पल,  फिर न कहूंगा की काश आज भी मैं बच्चा होता | 

Friday, March 23, 2018

आज एक और बेटी विदा हो चली


आज एक और बेटी विदा हो चली,

उसकी बारात आयी लाखों सपने संजो के ,
दूर से बैंड की आवाज़ ने दिलों में खुशियाँ भर दी ,
सखी सहेलियों की खिलखिलाहट छत पे भर गई ,
रौनक से झूम उठा आसमान ,
आतिशबाज़ी से नये जीवन की दस्तक हुई | 

आज एक और बेटी विदा हो चली || 

चल तो पड़ी उसकी डोली धीरे धीरे ढोल और मंजीरों संग,
भाइयों ने हाथ थामा तो डोली खिल उठी,
लाल रंग के जोड़े में छम छम करती जब वो डोली से उतरी,
माँ बाबा की आँखों में सौ सपने भर गई,
सबकी लाड़ली आज आँखों में ख़ुशी के आँसू भर गई | 

आज एक और बेटी विदा हो चली  || 

वो मेहँदी की भीनी भीनी खुशबू अब भी आती है ,
उसकी हंसी अब भी दिल भर जाती है ,
मस्ती और उमंग से भरी उसकी बातें आज भी ताज़ा है ,
लगता है अभी भी यही कही वो इस घर का हिस्सा है | 

ये बदलाव ना उसके लिए आसान ना हमारे लिए है। 
बेटी जब विदा हो चले तब ये एहसास आता है ,
कही न कही आज भी बाप का दिल ये सोच के घबराता है ,

विदा हुई है लाखों सपनो के साथ ,
कही वो सपना टूट न जाये ,
आज विदा हुई मेरी बेटी कही मुझसे दूर हो न जाये | 

आज एक और बेटी विदा हो चली ,
लाखों उम्मीदें लिए नए सफर पे चल पढ़ी