Friday, December 30, 2016

इस दिल से उस दिल तक


Source: JpopAsia

कभी सोचा है अगर मैं कुछ ना कहूँ और तुम पढ़ लो,
कभी सोचा है अगर मैं कुछ ना सुनु और तुम सुन लो,
बातों की उलझन या मन का दर्पण,
कुछ तो अलग है हर दिन हर पल । 

ये इस दिल से उस दिल तक कैसे बातें जाती है,
ना मैं कुछ कहती हूँ फिर भी समझ जाती है,
कैसे आखिर अनकही बातें भी सुलझ जाती है,
ऐसा क्या रिश्ता है जो सब कुछ एक कर जाती है । 

क्यों मैं चलती उस राह पे हूँ जिस राह पे तू मिलता है,
आखिर इस दिल से उस दिल तक ये कैसा रिश्ता है ?
मैं लिखने बैठूँ सच तो उसका रूप भी कुछ और है,
मेरे मन के हर पृष्ठ पे एक सुरूर चारों और है |

राहों के मुसाफिर या मेरे रास्तो के हमराही,
कैसे चुनता है कोई जिसके लिए ये जीने के मायने है बदल जाते,
कैसे हम इस दिल से उस दिल तक दबे पाओं पहुँच जाते है 
कैसे तुम मेरी हर बात को बिन बोले ही समझ जाते हो | 

कई बार ऐसा होता है, मन मैं सौ उलझने घर कर जाती है,
हर उलझन इस रिश्ते तो कमजोर करने के भरसक प्रयास में जुड़ जाती है,
पर हर बार ये मुश्किलें हमें और करीब ले आती है,
ना जाने कितने अनकहे अनसुने एहसासों को हम तक पहुंचा के 
ये इस दिल से उस दिल तक का नाता और पक्का कर आती है | 

सागर के किनारे बैठूं या ऊँची इमारतों में ,
हर जगह तुम्हे साथ महसूस करती हूँ,
कहने को हम दूर बहुत हैं, सात समुन्दर बीच किनारे,
पर फिर भी मन की उलझनों को अब बहुत दूर रखती हूँ | 

मैंने सुना था बड़े बूढ़ों से , दूरियां को नज़दीकियों में बदलना बड़ा मुश्किल है,
कइयों बार दूर बैठे एक दूसरे की बातों को समझना बड़ा ही झटिल है,
पर मैं खुदा की मेहर समझू या अपनी बुलंद किस्मत,
इस दिल से उस दिल तक बातें यूँही पहुँच जाती है,
कहना कुछ भी चाहूँ, सब अनकही बातें तुम्हे हूबहू समझ आती है | 

इस दिल से उस दिल तक आज एक बार और कहना चाहूंगी,
खुश तो बहुत हूँ मैं तुम्हे पाके,
बस इसी तरह तुम्हारे जीवन को हमेशा खुशबू बनके महकाना चाहूँगी | 

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