Sunday, March 31, 2013

बूंदे- कुछ कहती है


आज देखा तो कुछ यूँ लगा
मौसम बदला सा है
सब कुछ धुला धुला सा है
हरा भरा छलका सा है

कुछ बूंदे भी क्या कमाल  कर जाती है
सूखे होठों को मुसखुराहट की चादर उड़ा जाती है
फीके मन में हजारो ख्वाइशें दे जाती है
बेरंग ज़िन्दगी मे रंग भर जाती है

कुछ लुक्का छुप्पी का खेल है इसका
अपने मन की करती है
जब चाहे आती है
पल मे गायब हो जाती  है

हम सोचते है आज जी भर के भीगेंगे
तब तक ये बादलों के साथ उड़ जाती है
किसी और के मन मे सपने सजाके
हमसे जुदा हो जाती है

जितने पल मिलते है इसके साथ
सब कम ही लगते है
आखिर बूदों का भी क्या कसूर
वो तो बादल से जाके आखिर जुडती है

ले जाये उसे जहाँ भी उड़ा के
वो उसकी किस्मत है
कहाँ जाके  गिरेगी किस्से मिलेगी
शायद उसकी भी कोई हसरत है

हम अपनी सोचे तो लगता है
उसका साथ उम्र भर हो
पर वो भी जाती है अपनों से दूर
आखिर उसकी भी तो उलझन है

बस देख के उसके इस रंग को
मन खुश हो जाता है
एक छोटा सा पल ही सही पर खुशनुमा समां हो जाता है

सोचती हूँ क्या किस्मत ये बूंदे लेके आती है
हमे खुश करके जाने किस मिटटी में मिल जाती है
मिलती होगी किसी नदी मे जो
तो खुशियों और बढाती होगी

ख़ुशनसीब है हम जो ऐसी बूँदे हमसे मिलने आती होगी !!




Sunday, March 3, 2013

चाँद


यह बात यूँ तो ख़ास है 
कहने को दिल के पास है !
चाँद यूँ कुछ चुप चाप है 
कह रहा ख़ामोशी में भी कुछ बात है। 

इस चाँद की चांदनी यूँ मदहोश  करती है, 
यह चंचल हवा साथ साथ यूँ ही बहती रहती है !!
पिघले पिघले चाँद मे एक अज़ब सा नशा है 
चूर कर दे मन को कुछ आज यह यूँ बह चला है !!

बढ़ते कदमो के साथ चाँद का मतलब भी बदल गया है 
जो था बचपन मे मामा ,
खेल खिलोने सा जिसका रूप था 
आज वो ही ,
दिल की बातों को समझाने वाला सच्चा दोस्त बन गया है !!

कहते थे बचपन मे की बहुत दूर है वो 
अगर शैतानी करोगे तो रूठ जाएगा 
अब तो लगता है 
किसी को मनाना हो तो चाँद से बढ़कर कौन साथ निभाएगा !!

मेरी तो बस सब आशिकों से ये ही इलतझा है 
साथ निभाना इस चाँद का भी 
बड़ा ही प्यारा है !
इतनी मिसालें कायम करने का येही एक रखवाला है ,
कुछ प्यारी सी मासूम सी इसकी अदा है।। 
भूल जाओगे अगर इसके इस रूप को 
तो होगा एक खालीपन हमारी ज़िन्दगी में  
यह ही हमारी सज़ा है !!








Tuesday, October 2, 2012

अनजान शहर


ये शहर कुछ अनजान सा है,
हर दिन इंसान परेशान सा है,
भागते से है सब किसी अनजानी परछाई के पीछे
कब रुबुरु होंगे उससे ये पता भी नहीं है !

पैसे का जोर कुछ ज्यादा ही है ,
रिश्तों की कीमत अब कुछ भी नहीं है  ,
वक़्त ठहरता नहीं दो पल के लिए भी ,
हर तरफ भागम भाग की उलझी कड़ी है !

कोई ठहर के हंस भी दे
ऐसे हालात  कम ही है ,
सरपट दौड़ रही है ज़िन्दगी
रफ़्तार कम नहीं है !

कोई मिलके कहता क्यूँ नहीं
की आखिर क्या कमी है ?
समझो ज़रा वक़्त के नाजुक पहलु को
प्यार सबके लिए एक ही है !

ज़रा मुडो थोडा पीछे ,
वक़्त को ज़रा थामो ,
उसे समझाओ सब माज़रा ,
उसकी रफ़्तार को धीमें से रोको !

अभी निकल गया मौका
तो वापिस ना आएगा ,
माना पैसा भी कीमती है
पर रिश्तों के महत्व यूँ ही धुंधला जाएगा !

कब्र तक साथ कोई नहीं देता ,
पैसा इंसान को असली तसल्ली भी नहीं देता ,
अगर ख़ुशी बांटने वाला कोई साथी ना हो
तो शोहरत भी पानी की तरह बह जाती है ,
एक दिन यह जिंदगानी यूँही बीत जाती है !

ये शहर कुछ अनजान सा है,इसका हर पहलु गुमनाम सा है!

गुम न हो जाऊ इस दुनिया मे
मुश्किल बड़ा लग रहा यहाँ गुज़ारा सा है ,
रिश्तें न टूटे ये ही उम्मीद कर सकते है
आखिर होगा क्या यह न किसी को पता है !

देखते है ये शहर और क्या रंग दिखाएगा
नये रिश्ते बनाएगा या पुरानों का भी अंत कर जाएगा ,
साथ रहेंगे सब या बिछड़ जाएँगे ,
शोहरत की अंधाधुंध चांदनी में या कहीं खो जाएँगे !

ये शहर कुछ अनजान सा है,इसका हर पहलु गुमनाम सा है!